अन्याय कि उम्र है छोटी , मिलता सबको न्याय । कभी करते थे जो नफरत ,आज करते है हमसे प्यार। कभी बरसाते थे जो कोङे , अब करते है हमारा दिदार । कभी देते थे जो गाली , आज करते है हमारा सत्कार । जिन महात्मा से थी उनको नफरत , उनकी प्रतीमा उनके सत्ता के द्वार । ये सत्य कि जीत है , ये असत्य कि हार ।
आपकी कविता का भाव बहुत अच्छा है!
रचना का भाव अच्छा है बशर्ते लय और शब्द संयोजन में सावधानी बरते !!