Homeआलोक धन्वामीर मीर शुभाष आलोक धन्वा 24/02/2012 No Comments मीर पर बातें करो तो वे बातें भी उतनी ही अच्छी लगती हैं जितने मीर और तुम्हारा वह कहना सब दीवानगी की सादगी में दिल-दिल करना दुहराना दिल के बारे में ज़ोर देकर कहना अपने दिल के बारे में कि जनाब यह वही दिल है जो मीर की गली से हो आया है। Tweet Pin It Related Posts अपनी बात बकरियाँ बारिश About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.