सत्य है दोहा
सत्य है चौपाई
चाहे इसे जिस ने
भी हो बनाई ,
अपना अनुभव
अपना तजुर्वा
तुक से तुक मिला कर
दिया वो सुनाई ,
अपना हाथ जग्रनाथ
कहने से पहले वह
कितना ठोकर खाया होगा
विश्वास जब टुटा होगा
तो यह तुकबंदी बनाया होगा ,
“जब तक करोगे बाबू-बाबू
तब तक धरोगे अपनी काबू ”
मदद के लिए चीखा-चिलाया होगा
फिर भी कोई नहीं आया होगा
तो तुक बंदी बनाया होगा ,
‘ जिंदगी झण्ड है
फिर भी घमण्ड है ‘
मनुष्य के अंतयोष्टि को
वह नयनो से पिया होगा
जीवन की सचाई में वह जिया होगा
तब वह यह कहावत दिया होगा ,
अपनी…देकर छिनाल
कितनी सही यह बात
तीन शब्दों में
जीवन की एक पहलु को
किया वह आत्मसात ,
सत्य है दोहा
सत्य है चौपाई
चाहे इसे जिस ने
भी हो बनाई।