दीपक से ज्योति जो बिखरती
सौन्दर्य भरी होती अभिव्यक्ति
अस्तित्व का द्योतक बन जाती
गौरव-गरिमा को दर्शाती
समवेत दीया का प्रकाशपूंज
सद्भावों का बन जाता गूंज
अंधकार की परतें हजार
अशुभ अनीति अधर्म विकार
पवित्र ज्योति हो सदा प्रवाहित
चैतन्य निरंतर रहे प्रकाशित
अंतस तमस को करे तिरोहित
उर में हो संकल्प समाहित
उजास प्रकाश का हो बसेरा
धरा पर न रहे अँधेरा.
HAPPY DIWALI
बहुत अच्छे शब्द संयोजन से जुडी सुन्दर दीवाली रचना.आपको दीवाली की हार्दिक शुभकामनाए