इस दिवाली
हर्ष उल्लास के इस उत्सव पर आशा के दीप जलाएँ इस दिवाली।
इन्द्रधनुषी सपनों से ज्योतित अपनों के संग मनाएं इस दिवाली।।
हर धर्म के निराले रंग बिखरे हैं देश के आँगन में।
आओ आज एकता के रंगों से सजाएँ इस दिवाली।।
पाप डर अज्ञान के अंधेरे ढक रखे हैं मन के गगन को।
ज्ञान के धृत से भरे दीप जला कर प्रकाश फैलाएं इस दिवाली।।
चारों ओर गंदगी फैली है अशुद्ध असत्य मैले विचारों से।
साफ कर हर कोने को स्वच्छता के दीप जलाएँ इस दिवाली।।
धन्वंतरि ने अमृत कलश से जग को निरोग था किया।
खुशहाल जीवन के लिए स्वस्थता के दीप जलाएँ इस दिवाली।।
कुबेर के धन और अन्नपूर्णा की कृपा ना कभी कम होगी।
चलो फिर सबको परमार्थ के लड्डू खिलाएँ इस दिवाली।।
खुशियां बाँटो इतनी जो बढे उसकी लौ सूरज तक।
द्वेष द्वंद अहम क्रोध को बत्ती लगाएँ इस दिवाली।।
गणेश से पहले दरिद्र नारायण की सेवा करें हम सदा।
लक्ष्मी पूजन से पहले हर नारी का सम्मान बढाएं इस दिवाली।।
जब तक हर मन जीवन में नहीं बसती है खुशहाली।
विकृत समाज में फिर राम को बुलाएं इस दिवाली।।
– उत्तम टेकडीवाल
Diwali ke awsar par ek choti si bhent
उत्तम जी कविता में सुन्दर भाव हैं. आपको दीवाली की हार्दिक शुभकामनाए