“उत्साह भरी इस बेला में
क्यों बहक से तुम जाते हो
लाता हूँ मै खुशियों का त्यौहार
भर मने में उत्साहों का अम्बार,
आती हूँ हर साल यहाँ मै
मधुर पावन सी बेला लेकर
और जाती हूँ फिर दूर तुमसे
यश,समृद्धि और ख़ुशी देकर ,
कर लिप्त खुद को वासनाओं में
करते है बदनाम मुझे
जुआ ,चोरी ,घूसखोरी का
देते दूजा नाम मुझे ,
कर मद्यपानों में व्यस्त स्वयं को
खुद का उपहास कराते है
है दीवाली नाम इसी का
कुछ ऐसी भ्रान्ति फैलाते है ,
हूँ ज्योति की उद्योतक मै
सर्वश्रष्ठ इसीलिए मानी जाती हूँ
कर विनाश अंधेरों का
जीवन को प्रकाशमय बनातीं हूँ,
बाटो दूजे संग खुशियों को
हो ऐसी दीवाली अबकी बार
हो रोशन घर उनके भी
थे वंचित जो पिछली बार ||”
omender ji diwali ke Tyohar par umda rachna, sukriya
Dhanyavad Naval Bhai…Dipavali ki hardik shubhkamna…