यहाँ कौन है अपना कौन पराया
किस ने इसे है उलझाया
कोई नहीं इसे सुलझाया
यहाँ कौन है अपना कौन पराया ,
गर्भ में पल शिशु धरातल पर आये
शिशु रोए जग मुस्काये
किस ने खोया किस ने पाया
यहाँ कौन है अपना कौन पराया ,
जीव यहाँ अनेको रिश्ते-नाते बनाये
एक ही झटके में सब भूल जाये
स्वार्थ वस सब स्वांग रचाये
यहाँ कौन है अपना कौन पराया ,
इह लोक है यह
यहाँ इह लीला छाया
जगत मंच पर जीव अभिनय दिखाया
यहाँ कौन है अपना कौन पराया ,
यह जगत है माया की छाया
काया पा जीव जीव आत्मा को भूल गया
जहाँ से आये वहीं है जाना
यहाँ कौन है अपना कौन पराया।
सुंदर अभिव्यक्ति !!
धन्यवाद श्रीमान जब आप जैसे लोग सराहते हैं जो अच्छा महसूस होता है।