ग़ज़ल । हर शख़्स गुनेहगार है।
इश्क़ और प्यार से अब उठ गया एतबार है ।
जिसने भी डाला नज़र हर वो शख़्स गुनेहगार है ।।
है सौदागरों की महफ़िल कभी भूलकर न आना ।
हो संगदिल या हमदिल सब एक से गद्दार हैं ।।
कर रहा होगा कहीँ पर साजिशे तेरे प्यार में ।
जो तेरे लिये तन्हाइयों में आज बेक़रार है ।।
वक्त की पैमाइसे है ,वक्त की नुमाइसे सब ।
जब वक्त तेरा न रहा तब दिल तेरा बेकार है ।।
लुट रहा या लूटता है खुद पता जिसको नही ।
रास्ता जो भी रहा हो पर ग़म यहां तैयार है ।
बन मुसाफ़िर फ़िर रहे है रहबरों की चाह में ।
मुफ़लिसी वे क्या करेगे जो खड़े मजधार है ।।
साहिलों पर टिक न पाते ग़म भरे जज़बात वो ।
‘रकमिश’ इरादे इश्क़ में ख़ुदा ही मददग़ार है ।।
…..R.K.MISHRA
nice one……………..!!
आभार स्वागतम् ……