एक बस तुम ही
मेरी बैषाखियां बन कर
मुझे सहारा देने वाली
मेरे पथ के कांटो को
पलकों से चुनने वाली
एक बस तुम ही तो थी।
बनकर रक्षक मुसीबतों में
रक्षा मेरी करने वाली
हर किसी दुष्ट नजर से
मुझको तुम बचाने वाली
एक बस तुम ही तो थी।
आग के अंगारों पर
आंेस की बूंदे बिछाने वाली
गरमी की उमस में
दृगों से प्यास बुझाने वाली
एक बस तुम ही तो थी।
-ः0ः-
bahut achchi rachna ..prabhakar ji.
अपने प्रेरक को समर्पित करते सुन्दर मनोभाव …. कृपया वर्तनी पर ध्यान दे !!
बहुत सुन्दर प्रेम भाव अपनी प्रिया के लिए