मानवता को ताक पे रख दो
बहती गंगा में मुँह धोलो ।
पीछे से तुम भोंक दो छुरा
लेकिन मुँह पर मीठा बोलो ।
ऐसी अपनी नियति दिखाओ
जिसमे खोट लगे ना कोई ।
चाहे दूजे की तुम गठरी
उससे सरे आम ही ले लो ।
भैया ये तो राम राज है
राजा सभी हुए अपराधी ।
जलदी करो कोई घोटाला
शुभ कार्य का खाता खोलो ।
राज कुमार गुप्ता – “राज“
बहुत अच्छा कटाक्ष किया आपने
धन्यवाद शिशिर जी ।
सुन्दर परोक्ष संकेत, बहुत खूब, राज जी !!
वर्तमान हालात कुछ ऐसे हो गए है ….
“कलयुग में बेईमानी की लूट मची है, लूट सके तो लूट
पहला नंबर कोई और ले जाएगा तू क्या करेगा मुर्ख ! !”
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया सर ।