उसकी हसीं में लिपटा दर्द छू लिया मैंने
दिल में सुलगती चिंगारी से जल गई
रूह की सिसकती दास्ताँ सुन ली मैंने
उसकी ख्वाहिशों के समंदर में घुल गई
लफ़्ज़ों में सिमटी चुभन पढ़ ली मैंने
उसकी सूने आँखों में मेरी नींदें पिघल गई
हाँ …. उससे पहचान कर ली मैंने ।
—- स्वाति नैथानी
वाह बहुत खूबसूरत रचना. बधाई. ऐसे ही लिखते रहिये.
thank you very much..i’ll try to write regularly.
हृदय को स्पर्श करते सुन्दर शब्द प्रेम का आकर्षण बन जाते है…. बहुत खूब स्वाति !!
उदासी और प्यार का संगम है ये कविता।
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