कुछ बुद्धिजीवियों को बढ़ती असहिंष्णुता के सपने आ रहे हैं
जिससे हुए व्यथित वो सरकारी सम्मान लौटा रहे हैं
एक दादरी हिंसा पे इनकी आत्मा रोती है
कश्मीरी हिन्दुओं की इन्हे चिंता ना होती है
जब पाक, बांग्लादेश में हिन्दू गए थे मारे
कोई इनसे पूछे कहाँ छुfप गए थे ये सारे
आतंक के साए में जब पंजाबी मर रहे थे
ये सारे बुद्धिजीवी तब यहाँ क्या कर रहे थे
असम की जातीय हिंसा पे इनकी आत्मा ना रोइ
कहाँ तब सो गए थे सारे जरा पूछे तो इनसे कोई
नक्सली जब देश को नुकसान पहुँचा रहे थे
यही बुद्धिजीवी तब उन्ही के गीत गा रहे थे
तस्लीमा नसरीन पर जब हमला हो रहा था
इन सबका स्वाभिमान तब कहाँ सो रहा था
सलमान रुश्दी की किताब पर जब देश में रोक लगाई थी
अभिव्यक्ति की आज़ादी की तब याद किसी को ना आई थी
सिखों के कत्ले आम पर कहाँ थे ये सिपाही कलम के
तब क्यों ना झनझनाए तार संवेदना के मन के
हिन्दू जो पशुबलि दें तो बदनाम ये करते हैं
इनके दिल कभी ना पसीजे जब लाखों बकरे मरते हैं
मी नाथूराम गोडसे बोलतोय नाटक पर जब बैन था लगवाया
कला की आज़ादी का तब इन्हे ख़याल भी ना आया
अपना असल चेहरा ये खुद ही दिखाते हैं
करते हैं वही छेद जिस थाली में ये खाते हैं
इनकी इन हरकतों पे अतः ताव तुम ना खाओ
इनके दो तरह के दाँतों को जनता को बस दिखाओ
कुछ स्वार्थी सदा अज्ञानता का लाभ उठाते हैं
वो तब ही नग्न होंगे जब सच सामने आते हैं
मौका परस्ती के रंग में रंगे राजनीति से प्रभावित सम्मानित हस्तियों को आइना दिखाती सुन्दर रचना !!
बहुत खूबसूरत कटाक्ष पेश किया शिशिर जी !
बहुत ही अच्छी रचना….हमारे देश के राजनीतीज्ञयो के बारे में सही लिखा आपने…
“आदमी हो तो”
लेखनी को धार दो
जीवन सुधार लो |
कलम गर उठाओ
समाज को सुधार दो |
हुनर है तो हॉक दो
गली मुहल्ला बाँक दो |
सत्य का साथ दो
हवा का रुख आंक लो |
गर आदमी हो तो
आदमी का साथ दो ||
निवातिया जी, सुखमंगल जी व श्याम जी आपके उत्साहवर्दन के लिए बहुत बहुत आभार
शानदार शब्द है आपके।
ये नेता, ये अभिनेता, ये साहित्यकार व अन्य सभी जो ताल से ताल मिलकर अपने पुरुस्कार वापस कर रहे हैं सभी अपनी राजनितिक रोटिया सेकने का जुगाड़ कर रहे हैं। इन सभी को देश और देशवासियों से कोई भी सरोकार नहीं है। इन सभी का एक ही उद्देश्य है दुनिया में देश का नाम नीचा दिखाना और जो देश का गौरव बढ़ा रहे है उनकी टांग खींचना है।
आपका बहुत बहुत आभार निशु. आप मेरी एक और रचना साई की पूजा भी देखे. वह भी आपको पसन्द आएगी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
Thank you very much Narendra ji for your kind admiration of this work. Wishing you a very happy and prosperous new year 2016.
Shishir
Bahut sunder rachna hai ,hamare desh mein desh ko aage le jane Walon ki tang khinchne Walton ki kam nahi .i .Par JANATA kab samjhegi .shayad aaj Kursi aur paisa hi Pradhan ho Gaya hai ,Desh Bhakti Kachin kho kar red gayee hai .
Thank you very much Kiran ji for your kind admiration of this work. Wishing you a very happy and prosperous new year 2016.
Shishir