जन्मान्ध
मुझे क्या पता
ये दुनिया कैसी है
कैसा इसका रंग है
कैसी इसकी सुन्दरता
मुझे ना पता
मेरी मां कैसी है
कैसा उसका रूप है
कैसा उसका चेहरा
पता है तो सिर्फ मुझे
बस इतना है पता
प्यारी होगी उसकी सूरत
जब इतनी प्यारी है
उसकी मुझपर ममता।
मुझे क्या पता
ये दुनिया कैसी है।
कैसा इसका रंग हैं
कैसी इसकी सुन्दरता।
मैं जन्मान्ध हूं
बचपन से एक ही
रंग देखता आया हूं
बस काला ही काला रंग
हर जगह पर पाया हूं
-ः0ः-
एक दृष्टिहीन व्यक्ति के मन के भावो का अच्छा चित्रण.