Homeउत्तम टेकरीवालमेरा स्वप्न अधूरा मेरा स्वप्न अधूरा Uttam उत्तम टेकरीवाल 29/10/2015 3 Comments मेरे आंसू फूल बन कर झडे हंसी के साथ उनके मुक्ताहारों से सजाया उनको, अश्रु मोतियों को बुन के उजाड़ कर आशा की वाटिका, किया तेरी हर अभिलाषा को पूरा सुखी रहे तू हरदम, तभी पूर्ण होगा मेरा स्वप्न अधूरा Tweet Pin It Related Posts माया आशा-शिखा क्या खोया क्या पाया हूँ About The Author Uttam 3 Comments निवातियाँ डी. के. 29/10/2015 उत्तम जी की अतिउत्तम रचना !! Reply Shishir 30/10/2015 बहुत खूबसूरत रचना उत्तम जी Reply Girija 30/10/2015 beautiful thought. Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
उत्तम जी की अतिउत्तम रचना !!
बहुत खूबसूरत रचना उत्तम जी
beautiful thought.