अति लघु रूप सा क्षण है अपना
कैसे करेंगे पूरा सपना
दुर्लभ पल बीतता ही जाता
युग करवट लेता ही जाता
समय कभी समान ना होता
पूरे सब अरमान ना होता
आज होठों पर हंसी सजी है
कल नयनों में नीर भरी है
सुख के दिन होते हैं छोटे
हमने सुने हैं ये कहावतें
आलोचना से मानें ना हार
ना पड़े कमजोर लाचार
खोने के क्षण पाने के पल
जीवन में आते हैं हरपल
खोदते रहते जो पृथ्वी को
भूमि आश्रय देती उनको
एक दिन सबको जाना ही है
ये कटु सत्य जो माना ही है
अपने आप कोई ना निखरा
जो टूटा ना हारा-बिखरा
अपार कष्ट बाधायें झेले
विकट कठिन राहों से निकले
फिर भी सब जीवन जीते हैं
गम में अपने मुस्काते हैं
ऐसे लोग हुए हैं अनेक
जिनके पथ हुए हैं नेक
क्योंकि जीवन है अनमोल
इसका नही है कोई मोल .
जीवन की वास्तविकता एवं महत्ता बताती अच्छी रचना
मानव जीवन के वास्तविक तथ्यों को उकेरती सत्यपरक रचना !! सुन्दर अभिव्यक्ति !!
Nice Poem Bharti ji
very nice Time is precious.
आप सबको ह्रदय से ढेरों आभार