रसोईघर
रसोईघर एक किले से कुछ कम नहीं
उसकी स्वामिनी होती है एक गृहिणी
बर्तनों की आवाज़ और चूड़ियों की खनखनाहट से
किले में उसका होना संकेत है
रसोईघर गृहिणी के लिए एक किले से कुछ कम नहीं
सब कामों पर उसका नियंत्रण होना
अपनी फ़ौज को युद्ध के लिए तैयार रखना
आभास होता है एक सुघड़ गृहिणी होना
कुछ गड़बड़ी हो तो रोक देना
रसोईघर गृहिणी के लिए एक किले से कुछ कम नहीं
किले के द्वार खुलते ही गरम चाय की चुस्की देना
रात के भोजन के बाद द्वार का बंद हो जाना
गृहिणी की आज्ञा का पालन करना
बिना सज़ा दिए एक अपराधी को माफ़ करना
रसोईघर गृहिणी के लिए एक किले से कुछ कम नहीं
मसालों की खुशबू और हलवे की सुगन्ध से
अन्नपूर्णा देवी के मंत्रों का शुरु हो जाना
कुक्कर की सीटी और दाल छोंकने की आवाज़ों से
वाद्ययंत्रों का बज उठना
रसोईघर की व्यवस्था करना एक किले से कुछ कम नहीं
उसके रसीले भोजन के चटकारे लेना
गृहिणी के लिए है जैसे किला जीतना
किले से दुर्गंध आने लगना
युद्ध हार जाने से कुछ कम नहीं
रसोईघर गृहिणी के लिए एक किले से कुछ कम नहीं
गृहिणी का अपनी गलती को ढूँढना
किले का उथल-पुथल हो जाना
उसकी कोशिश का व्यर्थ न होना
फिर से किले को सुचारू रूप से चलाना
रसोईघर गृहिणी के लिए एक किले से कुछ कम नहीं
थालियों की चमक में से झाँकती
उसकी माथे की बिंदिया
साड़ी के पल्लू से गीले हाथ
और माथे से पसीने की बूँदे पोंछना
सुघड़ गृहिणी होने से कुछ कम नहीं
रसोईघर गृहिणी के लिए एक किले से कुछ कम नहीं
रसोईघर गृहिणी की रणभूमि है
और वह किले की महाराऩी
दूसरे किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं
चारों ओर से किले पर अपना आधिपत्य रखना
रसोईघर गृहिणी के लिए एक किले से कुछ कम नहीं ।।
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रसोईघर की विभिन्न परिपेक्ष्य में बड़ी सुंदरता से उसकी उपयोगिता को दर्शाते हुए उसकी स्वामिनी नारी के त्याग एव समर्पण का जो चित्रण पेश किया तारीफ के काबिल है !! लाजबाब संतोष जी !!
संतोष जी किले के रूपक का आपने अच्छा इस्तमाल किया है क्योंकि भारतीय नारियाँ अपने रसोईघर को लेकर काफी भावुक होती है और उसमे उन्हें किसी बाहरी का दखल कभी स्वीकार नहीं होता.;