पहली ठोकर ने मुह के बल गिराया
दर्द पुराना होने तक महसूस किया
दूसरी ठोकर ने सर खोल कर रखा दिया
होश आने तक जिंदगी हवा हो गई थी
तीसरी ठोकर ने आत्मा को रुला दिया
दुबारा न गिराने का इरादा कर
सोचा पत्थर ही हटा दे
पत्थर को जो देखा
दिल ने कहा, चलो फिर
ठोकर खाते है
क्योंकि उस पत्थर का नाम
“प्यार” था
True fact …achchi rachna..
Love could be greatest reason to live life, Thanks for your appreciation.
प्यार के आकर्षण का सटीक वर्णन…. अच्छा लिखा रिंकी जी !!
प्यार के आकर्षण से बच पाना मुश्किल होता है,
निवातियाँ जी रचना पढने और सहराना के लिए आभार
रिंकी मैंने शायद पहले भी कही लिखा था तुम्हारा अंदाज अलग है व् तुम्हारी कविताओं में गहराई और वज़न भी है. तुम निश्चित ही आगे जाओगी. बहुत सुन्दर रचना
शिशिर जी, हिंदी में लिखने वालो के साथ विडम्बना यहाँ है की सहारना और प्रोत्साहन के लिए जूझना पड़ता है अगर हम इसी तरह एक दुसरे को प्रोत्साहित करते रहे तो साथ में बहुत आगे की मंजिल तय करेगे
बेहद अच्छी रचना…तथ्य को अच्छे शब्द दिए हैं आपने….
श्याम जी रचना पढने और सहराना के लिए आभार
बहुत सुन्दर रचना………………….
सुशांत धन्यवाद
Good Poem……Keep writting