” दर्द छिपा है तन्हाई में
लोग समझ ये पाये ना
है आखों को अभी-भी इंतजार उनका
लोग समझ ये पाये ना,
बहे बेशक आंसू उनके
पर आँखे उनमे मेरी हो
खुशियां हिस्से में हो सारी उनके
पर गम सारे उनके मेरे हो ,
जीवन के अंतिम राहों में
टूटे सांसे उनकी बाँहों में
देखूं एक पल जी भर के मै उनको
बस जाये उनकी तस्वीर इन आखों में,
मिल जाये जो एक पल जीने को
साथ उनके मै उसे गुजारु
पाउ प्यार उनका जो कभी
दिल में हमेशा उसे बसाऊ..”||
ओमेन्द्र जी आपका स्तर नहीं आ पाया रचना में. कुछ सुधार करने से बात बन सकती है
शुक्रिया शिशिर जी ..कोशिश करूँगा..