मुस्कुराना तेरा आँसुओं को छुपाकर
चले जाते हैं जब तब मुझको रूलाकर ।
इतना प्यार करते हैं आँसू भी तुमसे
तभी तो छलकते हैं इठला इठला कर ।।
हर घडी मेरे सपनों में तुम हमेशा आ रही हो
ऐसा लगता है कि शायद गीत कोई गा रही हो ।
खोलती हो मुस्कुरा कर जब तेरे अधरों को तुम
ऐसा लगता है कि मेरा प्राण सींचे जा रही हो ।।
तेरी मधुर यादों ने चुरा ली नीद आँखों की
सोचा जब बातों को तेरी धडकने बढ गइ साँसों की ।
सुनाती सुमधुर वाणी अगर जो पास तुम होती
न रोता मैं तेरी खातिर न मेरे खातिर तुम रोती ।।
दर्द ने दिल को मेरे बेकार कर दिया
एक पल का जीना भी दुश्वार कर दिया ।
अब तो शबे-गम की सहर का मै दिवाना हूँ
बदनाम उल्फत ने सरे-बाजार कर दिया ।।
तेरा ख्वाबों मे आना और आकर यूँ चले जाना
धडकन मेरे दिल की ऐसे बढा जाती ।
निकलता नाम तेरा मुख से नजर बस ढूंढती तुमको
मगर कुछ और कहने को जुबाँ खामोश हो जाती ।।
जिंदगी तुमसे बहुत शिकवे गिले हैं मुझको
इंसाफ मेरे साथ जो तुमने नही किए ।
मैने तुम्हारी राह मे सिर को झुका दिया “ राज “
तुम तो हमारे सर को कलम कर के चल दिए ।।
राज कुमार गुप्ता – “ राज “
बहुत खूबसूरत रचना
बहुत शुक्रिया सर ।
सुन्दर अभिव्यक्ति …..!!