याद आई फिर हमे वो आजादी कि रात दुर हुआ था वो गुलामी का अंधकार । लौट आया था आजादी का प्रकाश ,चौतरफा खुसयाली थी और उन्माद । रंग लाई थी उनकी मेहनत त्याग दिये थे जिन्ने अपने प्राण ।याद आई फिर हमे वो आजादी कि रात लोग मना रहे थे जस्न आजादी का मिली थी जो वरसौ के पश्चात । अब और न जुल्म होगे न होगे अत्याचार ,देश आजाद धरती आजाद कण कण था आजाद । याद आई फिर हमे ,वौ आजादी कि रात ।
वर्तमान परिपेक्ष्य में अतीत के पलो का याद आना लाजमी है !
सुन्दर अभिव्यक्ति ….!!
आपका आभार…………….!