हे युवक सुनो मेरा विचार यह जग अशांति से बेसुमार ।
चहुँदिश दिखते लहलहे वृक्ष पर हरियाली नही लेशमात्र ।
वैसे तो सभी निकटवर्ती किंतु कौन विश्वासपात्र ।।
आये दिन के तूफानों से हम लाख बचाकर चलते हैं ।
पर बचें कौन इनसे ये तो सबकी झोली में पलते हैं ।।
दम तो है किसी मे कुछ भी नहीं पर सब तो एटम बम ही हैं ।
सबको है यही गलतफहमी कि और तो मुझसे कम ही हैं ।।
इस रमणीक धरा को तुम श्मशान नहीं उद्यान बनाओ ।
शूलों से कर रहित इसे तुम पुष्पों के ही वृक्ष लगाओ ।।
उद्यान बनाओ सब मिलकर आपस में सबसे प्रेम करो ।
जब से संभलो तुम तभी ठीक जल्दी संभलो ना देर करो ।
कुछ लेकर यहाँ न आये हैं न लेकर यहाँ से जाऐगें ।
अपने सद्कर्मो के ही कारण हम इस जग में जाने जाऐगें ।
इसलिए त्याग कर बैर भाव न्यौछावर करो निज स्नेहागार ।
राज कुमार गुप्ता – “ राज “
अत्यंत गहराई युक्त आर्तनाद
धन्यवाद शिशिर जी ।
hindisahitya whatsup group me aap ka swagat hai…
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sukriya
artanad ka matalb bataiye pls.
nice line……
धन्यवाद अनुज जी । आर्तनाद का अर्थ है दुःख भरी पुकार ।
वैमनस्य को मिटाने का सन्देश देती अच्छी रचना !!
शुक्रिया निवातिया जी ।