चाहे गोपियों सी सौत या बांसुरी का संग दे
श्याम मोहे श्याम रंग में रंग दे
नैन तो हमेशा श्याम मय हैं
बालों की उलझी गुत्थी में भी श्याम ही सुलझे हैं
गाल तो तेरे लाज शरम में हैँ दिख रहे गुलाबी
होठों को छू कर तूने बना दिया शराबी
दिल तो पूरा काला है
तभी तो निकल रही है गाली
देह तुझ पर समर्पित है
तू ही रंग इसे काली
श्याम का असर है जैसे पूजा
जिस पर कोई रंग न चढे दूजा
दिख रही आज मैं सब से निराली
सखियाँ सब हैं लाल पीली
जब तक श्याम रगं मे सखि, डूब न जाओगे
राधा की चमक कैसे पाओगे
प्रेम में समर्पण की बहुत उम्दा व्याख्या !!
Radha ke nidwarth prem kee vyakhyaa ka sunder prayaas