तेरी खूबसूरती की तारीफ में, हर एक नज़्म लिखता हूं।
तेरी जुल्फ़ो के साए में, हर वक्त सोया रहता हूं।।
तेरी चाहत की हद ही तो है, की मुझे कुछ याद नहीं।
इबादत करने की ज़गह, मैख़ाने चला जाता हूँ।।
ज़ो कोई पूछ ले मुझसे, मेरे घर का पता।
मुझे इतना भी याद नहीं, तेरा पता बता देता हूँ।।
अब तो मुझे तेरे सिवा, कोई सूरत दिखती नहीं।
तेरी खूबसूरती की तारीफ में, हर एक नज़्म लिखता हूं।।
लाजबाब नज्म … बहुत अच्छे !!