Homeउत्तम टेकरीवालप्यास प्यास Uttam उत्तम टेकरीवाल 15/10/2015 4 Comments वह प्यासा है — दो बूंद हैं उसके होठों पर ढलक रही है जो नीचे जिव्हा तडप रही है — लपक रही है उन बूँदों के लिए मगर अफसोस — समय निकल चुका था बूँदें ढलक चुकी थी वह जीवन का प्यासा था! हम जीवन के प्यासे हैं। — Uttam Tekriwal Tweet Pin It Related Posts चलो आज फिर मिल कर एक नवीन देश बनाते हैं दिन ईश्क- ek Gajal About The Author Uttam 4 Comments Shishir "Madhukar" 15/10/2015 वाह क्या बात है जीवन शब्द मे कितनी खूबसूरती से आपने दो अर्थ दर्शाए है. Reply निवातियाँ डी. के. 15/10/2015 प्रभावशाली सृजनात्मकता !! Reply Uttam 15/10/2015 Bahut Bahut Dhanyawad. Reply Bimla Dhillon 15/10/2015 उत्तम जी ,बेबस ज़िन्दगी की इस से ज़्यादा बेबस तस्वीर नहीं हो सकती । Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
वाह क्या बात है जीवन शब्द मे कितनी खूबसूरती से आपने दो अर्थ दर्शाए है.
प्रभावशाली सृजनात्मकता !!
Bahut Bahut Dhanyawad.
उत्तम जी ,बेबस ज़िन्दगी की इस से ज़्यादा बेबस तस्वीर नहीं हो सकती ।