वो नटखट थी और प्यारी भी,
समझदार थी और दीवानी भी,
ख्वाहिसे थी उसमे उड़ने की,
और हौसला भी था, आसमान चूमने का,
उड़ना भी था उसे, और गिरना भी,
हर पहलु छूने की चाहत थी उसमे ||
गिर के सँभलना सिखाया उसे,
नासमझ थी समझदार बनाया उसे,
दुनिया और दुनियावालो का सच बताया उसे,
सहम गयी थी ऐसे सच बताया उसे,
लेकिन हिम्मत भी उनके प्यार से ही आया ||
उड़ने के लिए पर दिलाया,
उसके उडान के लिए खुद का खून जलाया,
उसके मुस्कान के लिए हर गम भुलाया,
बड़े नाजो से पाला और प्यार से संभाला ||
सपनो की उड़ान भर चुकी थी अब वो,
आज़ाद होना सीख रही थी वो,
बड़ा गुमान था उसे अपने परो पे,
बड़ा गुमान था उसे अपने हौसलों पे,
जो सिखाया था उन्होंने ही ||
फिर अचानक उसके परो को काट दिया,
उन्ही हाथो ने जिसने उसे उडना सिखाया,
फिर से सहम गयी वो,
उसकी आँखों में एक कहानी थी और होठो पे एक ||
क्यों सिखाया उडना ?
क्यों दी आज़ादी ?
क्यों सिखाया जीने का मतलब ?
जब कैद करना ही था उसके सपनो को ?
सिखायत थी या विश्वास ?
प्यार था या कर्ज ?
चिंता थी उसकी या खुद का अभिमान ?
आस थी उससे या उसके सपनो का परिहास ?
अब दोनों हाथो में डोर थे उसके,
एक खुद के सपनो की, और एक उनके सम्मान की,
दोनों का साथ बड़ा पुराना था,
फ़र्क बस इतना, एक खुद का और एक दुसरो का ||
अब खुद का मानो अस्तित्व मिटा रही हो,
और बस दुसरो के लिए जी रही हो,
सपने तो उसके बस अब कागज के पन्नो पे रह गए,
कुछ अधूरे, कुछ तो मिट भी गए !!
रोज़ ज़माने से मानो पूछ रही हो,
क्या गलती हुई मुझसे,
बस लड़की हूं इतनी सी !!
दुनिया ने तो किर वही किया,
कुचल दिया उसके सपनो को,
दबा दिया उसकी आवाज़ को ||
पर देखना था अब वो क्या करेगी,
कैसे निकालेगी खुद को इन जंजीरों से,
क्या आगे बढ़ कर बाकियों को राह दिखाएगी ?
या बस कागजों में ही आंसू सुखा देगी??
–प्रभा
बहुत सुंदर …………
बधाई ……..
धन्यवाद……..
एक मध्यम वर्गीय भरतीय बेटी की मनोदशा का सुन्दर व भावुक चित्रण. लेकिन इस पर भी गम्भीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है कि आखिर हमारा समाज ऐसा क्यों हुआ
इस २१वी सदी में एक ओर जहाँ हम भारतीय ज्ञान-विज्ञान की ऊचाई को छूने के लिए कदम से कदम मिला कर चलने की बात कर रहे है, वही एक ओर समाज के इस पहलु पे कोई ध्यान क्यों नही देता? आखिर गलती किसकी है? माता-पिता की या उन लडकियो की जो शायद अपने फैसले को गलत समझ कर दबा देती है? क्या माता-पिता बच्चो के भावनाओ से इतने दूर होते जा रहे है? क्या बच्चे अपने माता-पिता से दिल की बात भी नही कह सकते?
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
v अभिव्यक्ति में अपने दम धर लो, जीवन में शक्ति को भरलो |
गर मौसम कुछ अनमना दिखे , फौलादी सुन्दर साहित्य करो ||
एक भावुक कविता के लिए धन्यवाद।