Homeआरज़ू लखनवीफिर ‘आरज़ू’ को दर से उठा, पहले यह बता फिर ‘आरज़ू’ को दर से उठा, पहले यह बता शुभाष आरज़ू लखनवी 24/02/2012 No Comments फिर ‘आरजू’ को दर से उठा, पहले यह बता। आखिर ग़रीब जाये कहाँ और कहाँ रहे॥ — — — था शौके़दीद ताब-ए-आदाबे-बज़्मेनाज़। यानी बचा-बचा के नज़र देखते रहे॥ अहले-क़फ़स का ख़ौफ़ज़दा शौक़ क्या कहूँ? सूएचमन समेट के पर देखते रहे॥ Tweet Pin It Related Posts दिल का जिस शख़्स के पता पाया सरूरे-शब का नहीं, सुबह का ख़ुमार हूँ मैं खुद चले आओ या बुला भेजो About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.