फूलो में फूल गुलाब तुम
सितारों में चमकता चाँद तुम
बागों में छायी बहार तुम
कलियों में आई निखार तुम !!
जवान हुस्न का शबाब तुम
बहकी अदाओ की शराब तुम
नशीली निगाहो की कटार तुम
दहकते शोलो की आग तुम !!
कवि की कविता का सार तुम
किसी शायर का कलाम तुम
जैसे सरगम की सुर ताल तुम
किसी बंदिश का साज़ तुम !!
जैसे सागर में ढलती शाम तुम
मय से छलकता जाम तुम
जैसे चन्दन से लिपटा सांप तुम
नींद में देखा एक ख्वाब तुम !!
जैसे बिन उत्तर का सवाल तुम
हर पहेली का जबाब तुम
सुर्ख चेहरे का रूआब तुम
दहकते अरमानो की आग तुम !!
पहली किरण का आगाज तुम
चहकते पंछियो की आवाज़ तुम
मचलती हवाओ का राज़ तुम
किसी की जिंदगी का आज तुम !!
मेरे हर लम्हे हर पल का अंजाम तुम
मेरा भूत, भविष्य, वर्तमान तुम
मेरी हर सांस हर धड़कन का नाम तुम
मेरी हर ख़ुशी हर गम का धाम तुम !!
तुम से मेरी जिंदगी, मेरा जीवन आधार तुम !
तुम मेरा पृथ्वी आकाश, मेरा सारा संसार तुम !!
मेरी प्रेयसी (अर्धांगिनी) को समर्पित !!
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डी. के. निवतियाँ [email protected]@@
Wah nivatiya jee aapka prem ko pranam
आपके विशाल ह्रदय से निकले खूबसूरत लफ्जो के लिए आभार !!
अति सुन्दर कविता। मनलुभावन।
उत्साहवर्धन के धन्यवाद !!
क्या लिखे कोई शब्द नहीं हे बहुत बढ़िया सर
बहुत बहुत धन्यवाद विनोद जी !
बहुत अच्छा लिखा है आपने |
बहुत बहुत धन्यवाद काजल जी !