उन्हें शिकायत है कि अन्धेरी गलियों में गिर पडते हैँ
लेकिन हम तो केवल शमा जला कर रखा करते हैं
चांद गवाह रहा है उन कातिल छणों का
जब हम बस तुम्हें ही याद किया करते हैं
सितारे भी शरमा गए थे जब तुमने सपनों का घूंघट खोला था
आजकल हम उन्हीं सपनों की चिता जलाया करते हैं
उन खाक हुए सपनों में अब भी अंगार बाकी है
यथार्थ के टूटे पंखों से हम बस हवा करते हैं
बहुत खूब……….. !!
अन्त के दो शेर तो बहुत ही लाजवाब है.