ढाक की हर थाक पर थिरक रहा आज पाप क्यों
देवी , तेरे चरणों की पड रही श्यामल छाप क्यों
अन्तर्मन में निवास तेरा, हो चुका डेरा पाषाणों का
अन्तर्मन को बींधते स्वर से रिश्ता नहीं कोई कानों का
कटे जिह्वा क्या वंदन करेंगे, वाणी सुनो रिसते मन की
हो विश्वास से अभिषेक, तुम बलि लो कायरपन की
न्याय की हो ज्योतित शिखा, तुम खोलो सत्य के नेत्र
हर जन में हो दुर्गा, मन्दिर पार्थिव हर छेत्र
महिष रुप त्याग असुर ने मानव मन को घेरा है
त्रिशूल है सत्य अचूक, आत्मबल वाहन तेरा है
निति के हस्त समस्त अस्त्र सम्भाल रखें
नाश हो हर असुर का, बस यही ख्याल रखें
उत्तम जी देवी के चरणो की चाप को यदि आप धुंधली कहेंगे तो ज्यादा उचित होगा. क्योकि मेरा मानना है की देवी के चरणो की छाप चाहे श्यामल हो चाहे धवल अच्छी ही होगी.
Shishir ji, aapki pratikriya ke liye dhanyawad.
Puja ke bahane kitne hi pap samaj me kiye ja rahe hain, us prist bhoomi me “shyamal” ka upyog kiya gaya hai, jo pap ki kalima ko dharsata hai.
Aap ke sujhao ka intjar rahega.
very nice ………..!!