मुश्किल तो आसां हो गयीं अब कोई भी मुश्किल नही।
मुश्किल यही ऐ दिल मुझे अब कोई भी मुश्किल नही।।
तोड़ दो चाहे फेंक दो या ज़ुल्म चाहे करो कोई।
हालत यही इस दिल की ये मेरे दिल में कुछ हलचल नही।।
इधर गया या उधर गया मैं जिधर गया बस खो गया।
मुझे ढूँढने मेरे साथ में अब कोई भी हमदम नही।।
मैं गया था उनको ख़याल में एक जाम देने ख़ुमार का।
वो कह रहे थे शुक्रिया बस अब नही बिलकुल नही।।
— अमिताभ ‘आलेख’
बहुत अच्छे …….!!
धन्यवाद धर्मेन्द्र जी।
अमिताभ अन्तिम दो शेर बहुत सुन्दर है जो हुस्न की फितरत बताते है
शिशिर जी आप एकदम दुरुस्त समझ जाते हैं शेर को।
बहुत बहुत शुक्रिया।