हुई रात रोशन चाँद निकला है प्यारा
मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा।
इस शुभ दिन पे मेरे दिल की दुआए तू लेले
खुशी जीवन की तेरे अंगना में खेले
माँ लक्ष्मी तेरे दर पे खुद चल के आए
उजाले तेरे दर से कभी वापस ना जाए
तेरी संतान तेजस्वी और गुणवान हो
उनकी सफलता से तेरा भी सम्मान हो
तुझे जीवन में ऐसी मुहब्बत मिले
जैसे सागर में गिरती है गंगा की धारा
हुई रात रोशन चाँद निकला है प्यारा
मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा।
तेरे सपनें सच में बदलते रहें
दीप आशा के यू ही जलते रहें
चाहने वाले तुझे माने अपना खुदा
तेरे जीवन से हों ना कभी वो जुदा
तेरे चारो तरफ ऐसा संसार हो
जिसमें चाहत का तेरी ही दीदार हो
मर मिटने को तैयार हो जाए आशिक
तू कर दे जो छोटा सा इक इशारा
हुई रात रोशन चाँद निकला है प्यारा
मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा।
तुझसे मिलनें के सपने लेकर हजार
बरसों हमनें भी तो करा इंतजार
जमाने नें कितनी भी कोशिश करी
गिरा दी मगर हमनें हर इक दीवार
तुझे छोड़ के अब ना जी पाएगें
बस घुट घुट के यूँ ही मर जाएगें
तुझको ही पाने की हसरत लिए
जहाँ में जन्म लेंगे फिर से दोबारा
हुई रात रोशन चाँद निकला है प्यारा
मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा।
जमाने के कैसे ये दस्तूर हैं
झूठे रिश्तों में बंध प्यार मजबूर है
पास हो के भी कुछ फासलें हैं यहाँ
खत्म होंगे ये जाने कैसे कहाँ
उम्र बाकी भी यूँही गुजर जाएगी
छवि कोई भी दिल में ना अब आएगी
तेरी चाहे जो भी हों मजबूरीयाँ
हम चले आए तूने जब भी पुकारा
हुई रात रोशन चाँद निकला है प्यारा
मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा।
शिशिर “मधुकर”
बधाई के संग समूर्ण जीवन उतार दिया, एक अच्छा गीत बन पड़ा है, इसके ;लिए आप बधाई के पात्र है !!
बहुत बहुत आभार निवातिया जी
बहुत बहुत अच्छा गीत. अनेक बधाई.
तारीफ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आलेख.