Homeआरज़ू लखनवीक्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता शुभाष आरज़ू लखनवी 24/02/2012 No Comments क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता। मौजे-दरिया खु़द लगा लेती है साहिल का पता॥ राहबर रहज़न न बन जाये कहीं, इस सोच में। चुप खड़ा हूँ भूलकर रस्ते में मंज़िल का पता॥ Tweet Pin It Related Posts आके क़ासिद ने कहा जो, वही अक्सर निकला हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया जिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.