मैं पिया मिलन को तरसी रे ,
मैं पिया मिलन को तरसी रे |
मेरी अँखियाँ झर-झर बरसी रे ,
मेरी अँखियाँ झर-झर बरसी रे ||
वो छोड़ गए , मुह मोड़ गए ,
सब रिश्ते – नाते तोड़ गए |
कुछ याद सुहानी जोड़ गए ,
कुछ विरह कहानी छोड़ गए ||
मेरी अँखियाँ ………….
तेरी प्रीत ही मेरी रीत हुई ,
जग छोड़ा तेरी मीत हुई |
प्रीत की रीत निभाने को ,
सारे जग से तीत हुई||
मेरी अँखियाँ …………..
बस एक ही मैं अरदास करूँ ,
तेरी एक नज़र की आस करूँ |
मैं दरद दीवानी फिरती फिरूं ,
मैं जीती मरुँ या मरती जीऊँ ||
मेरी अँखियाँ …………..
सुशील मुझे तो आपकी रचना में ईश्वर भक्ति दिखाई देती है. यदि मेरा विवेचन सही है तो बहुत ही उम्दा रचना है.
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