कवि इतिहासकार है
संवेदना का
मनुष्यता का ।
और बल्कि
जीवनी लिखता है
समय की ।
अभिव्यक्ति उसकी चतुराई नहीं
विवशता है
बिम्ब और शब्द
झूठे प्रलाप नहीं
जड़े हैं
विस्तार की ।
उसका मर्म हैं ।
– औचित्य कुमार सिंह (07.10.2015)
कवि इतिहासकार है
संवेदना का
मनुष्यता का ।
और बल्कि
जीवनी लिखता है
समय की ।
अभिव्यक्ति उसकी चतुराई नहीं
विवशता है
बिम्ब और शब्द
झूठे प्रलाप नहीं
जड़े हैं
विस्तार की ।
उसका मर्म हैं ।
– औचित्य कुमार सिंह (07.10.2015)
सही कहा अभिव्यक्ति उसकी चतुराई नहीं विवशता है।
औचित्य कविता तो हम सब लिखते है लेकिन ये कभी ख्याल ही नहीं आया की इस बात को परिभाषित किया जाए की क्यों लिखते है? आपने चंद शब्दों में इसकी इतनी सटीक परिभाषा दी है जिसके लिए आप बधाई के पात्र है. इसकी विवेचना लोग अपने अपने तरीके से कर सकते है लेकिन कवि होने का असली मर्म यही है.
dhanywad rakesh ji, bahut aabhar shishir ji
एक कवि की दसा एक कवि ही समझ सकता है ….
अच्छी कविता …..ऐसे ही लिखते रहिये
धन्यवाद अनुज जी ।
कवि के रूप को बड़ी खूबसूरती से परिभाषित किया , प्रशंशनीय कार्य !!
धन्यवाद निवातियाँ जी