तुम्हे क्या बताऊँ मैं कि मुझे क्या हो गया है
कैसे तुम्हे समझाऊँ कहाँ दिल ये खो गया है .
मुझे खुद पता नहीं है कि मैं कब क्या करूँगा
उसके बिना ना जाने जीऊँगा या मरूँगा
मेरे दिल को अब कहीं पर चैन भी नहीं है
खुश हो के जो मैं काटूँ वो दिन रैन बही नहीं हैं
किसी कि बेवफाई से सब ज़ार हो गया है.
तुम्हे क्या बताऊँ मैं कि मुझे क्या हो गया है
कैसे तुम्हे समझाऊँ कहाँ दिल ये खो गया है .
मेरे दिल का ये पंछी परवाज़ नहीं भरता
कितना भी अब में चाहूँ ये विश्वास नहीं करता
मुझे जिंदगी से जाने क्यूँ नफरत सी हो गई है
जीने कि हर तमन्ना फ़ना हो गई है
मेरे लिए तो नीरस ये संसार हो गया है .
तुम्हे क्या बताऊँ मैं कि मुझे क्या हो गया है
कैसे तुम्हे समझाऊँ कहाँ दिल ये खो गया है .
शिशिर “मधुकर”
Beautiful …..song……….!!
आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार निवातियाँ जी