हर जगह बस शून्य शून्य ही रह गया है
जो भी था अस्तित्व मेरा, आज छिन गया है।
मैं तुम में तुम मुझ में सिमट गया।
ज्ञात अज्ञात, व्यक्त अव्यक्त में मिट गया।
निस्तब्ध शांत स्थिर ये कैसी उर्जा है
आकर्षित करती जो ॠष्टि का हर पुर्जा है
अजब पहेली सा उलझाने लगते हैं हमें
बोलो, श्याम क्यों सुहाने लगते हैं हमें!
मिट कर ही सृजन का आव्हान होता है।
नव दिशा भव् सूर्य का निर्माण होता है।
कृष्ण की रचना विशद निरंतर अपरम्पार है।
शून्य से निकल कर हमें शून्य में मिलना लगातार है।।
अति सुंदर ………बहुत अच्छे !!
Dhanyawad.
Aaj ye vigyan me bhi vidit hai ki Black Hole se sab tatva ki uttpatti hoti hai. Black hole yani Krishna ya Sunya ko bhakti se aur janam janmantar se jodne ka prayas hai. Pasand aaye to daad dijiye ga.
बहुत सुंदर पंक्तियां लिखी है आपने जो मनुष्य को आध्यात्मिक अनुभव कराती है