बुन रही है
कोई ख्वाब जिंदगी
जिनमे खामोशियों के
पड़े हैं कुछ बूटे
और सुख दुःख के
फंदे दो रगें हैं
यादों के सुनहरे
सपनो के धागे
जिसको आधा-आधा
आपस में बांटे हैं
कुछ बुन लिया है
कुछ बुनने को बाकी हैं
सपनो के धागों के सिरे लम्बे है
गांठें पड़ी हैं छुपा लिए तुमने
तेरे बुनने की तरकीब निराली है
shweta misra
Nice line ….!!
आभार उत्साहवर्धन के लिए .. सादर
रहस्यवाद का सुन्दर चित्र
सादर आभार आपका
आभार उत्साहवर्धन के लिए .. सादर
सुंदर शब्दावली से युक्त जीवन के धागे से बुनी अच्छी रचना !!
सादर आभार आपका
सादर आभार आपका