एक चीज ही चुन पाओगे गन्ना गुड़ या शक्कर में।
थोड़ा बहुत छोड़ना होगा कुछ पाने के चक्कर में।
चाहे जितनी सेना हो उसके मुस्तैद सिपाही हों।
थोड़ी बहुत हानि निश्चित है भले विजय हो टक्कर में।
शाखें कटीं परिंदे रूठे सूनी है आकाश धरा,
अवगुण बहुत भयानक हैं भौतिक विकास के अस्तर में।
शाखें कटीं परिंदे रूठे सूनी है आकाश धरा,
अवगुण बहुत भयानक हैं भौतिक विकास के अस्तर में।…………wahh sir …..
सत्य की परिभाषा इस से बढ़कर क्या होगी !!
बहुत खूब विमल जी !!
छोटी मगर असरदार कविता
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद