जिसने मुझे मझधार में छोड़ा
मेरे शीशा ए दिल को तोडा
उसको क्यों मैं याद करूँ अब
वह भी वो किसी और की है जब
यदि छोड़ मुझे पाई वो सुख
मैं भी क्यों दूँ अपने दिल को दुःख
जब उसने प्यार बदल डाला है
मैं भी इसे बदल डालूँगा
जब उसने यार बदल डाला है
मैं भी इसे बदल डालूँगा
जब उसने किए है ऐसे करम
मै भी फिर क्यों करूँ शरम
अब उसका मुझे एहसास नहीं है
प्यार पर कोई विश्वास नहीं है
प्यार है नाटक प्यार है धोखा
जो जब चाहे कर सकता है
इसकी कोई उम्र नहीं है
यह तो कभी भी मर सकता है.
शिशिर “मधुकर”
nice…..one !!
बहुत बहुत आभार आपका
very good friend
आपकी तारीफ का शुक्रिया