क्यूँ ख्वाबो में तुम आते हो
हर पल क्यूँ ऐसे तड़पाते हो
बनके प्यार की मूरत फिर
दिल में क्यूँ बस जाते हो,
बन आखों का जल फिर
पलकों पे क्यूँ चढ़ जाते हो
कुमकुम के रंगो में फिर ,
आलोक नया भर जाते हो
बनके मेहंदी की खुशबु
हाथो में क्यूँ बिखर जाते हो
क्यूँ ख्वाबो में तुम आते हो …..
महफ़िल में कर तनहा मुझको
तुम दूर चले क्यूँ जाते हो
आखों में बन यादो का पानी
वापस फिर क्यूँ तुम आते हो ,
ख़ामोशी में पल भर हो शामिल
सवाल कई दे जाते हो
थमती हुयी धड़कनो को फिर
एहसास नया दे जाते हो
क्यूँ ख्वाबो में तुम आते हो ……
वापस तुम अब लौट भी आओ
इतना ना मुझको तड़पाओ
ताोडके सारे बंधन तुम
यादो का मरहम दे जाओ
बन सावन की बून्द स्वयं
क्यूँ विरह की अग्नि जलाते हो,
क्यूँ पतझड़ के मौसम में
तुम राग नया सुनाते हो ,
क्यूँ ख्वाबो में तुम आते हो ….
ओमेन्द्र जी प्रियतम से मिलने की पीड़ा का संजीव चित्रण.
धन्यवाद शिशिर जी ….
सुन्दर अभिव्यक्ति !!
धन्यवाद धर्मेन्द्र जी …