जाने से पहले
सब से माफी मांग लेना चाहता हूं
उन गलतियों के लिए जो हो गए हों अनजाने
बिना सोचे
बिना मन में रखे
किसी को दर्द पहुंचा हो
तो माफ कर देना।
जाने के बाद कुछ भी उठा नहीं रखना चाहता
वरना कहने वाले कहेंगे
उसने मेरे साथ अच्छा नहीं किया
फाइल यूं ही बिना दस्ख़त किए चला गया
बिना पूरा किए अपना काम जा चुका।
कोई यह न कह दे
बिन बताए चला गया
इसलिए बता देना चाहता हूं
किसी दिन बिन ताकीद किए चला गया
तो उदास मत होना
सब अपना काम पूरा करके जाना चाहता हूं
बशर्ते पूरा करने का मौका मिले।
अधूरी रह गई कोई पंक्ति
परेशान करे तो पूरा कर लेना
कोई बात छूट गई हो बीच बहस में
तो उसे भी निपटा देना
बस उलाहने मत देना
वरना जहां भी रहूंगा
मन आप में भी अटका रहेगा।
जाने के बाद पता नहीं मेरा क्या पता हो
कौन सी आई डी से मैं खुल पाउं
यह भी तो मालूम नहीं
किस ग्रह
गहवर में रहूं
संभव है वहां नेटवर्क न मिल
आप ख़ामख़ा परेशान हों।
दोस्तों से भी अभी ही माफी मांग लूं तो बेहतर,
जिनसे दिल न मिला तो क्या,
उनकी बद्दुवाओं मंे तो रहूंगा ही
उन्हें भी चाहता हूं
जिंदा रहते मांफ कर दें
ताकि चैन की नींद सो सकूं।
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अपने अहं को जीत कर्मयोगी वाली मनःस्थिति को प्राप्त कर लेने को बताती सुन्दर रचना.
Thanks Shishir ji. Kavita pasand aai…
अतिसुन्दर …………….!!