तेरी खूबसूरत ये जालिम अदाएं
पल पल मुझको इतना लुभाए
मानो किसी गुल के महके बदन से
भँवरा कोई जैसे लिपटा ही जाए.
तुझे देखूँ जब भी मुझे लगता यूँ है
मेरी धड़कनों में तेरी आरज़ू है
चाहें मेरा दिल तुझको सब कुछ बताए
लेकिन तू मुझसे ही नज़रें चुराए .
तेरी खूबसूरत ये जालिम अदाएं
पल पल मुझको इतना लुभाए
मानो किसी गुल के महके बदन से
भँवरा कोई जैसे लिपटा ही जाए.
तुझे दुनिया चाहे मगरूर है कहती
मेरी साँसों में तो तेरी खुशबू रहती
तेरी ये अकड़ मुझको पागल बनाए
तुझे पाने की हसरत बढ़ती ही जाए
तेरी खूबसूरत ये जालिम अदाएं
पल पल मुझको इतना लुभाए
मानो किसी गुल के महके बदन से
भँवरा कोई जैसे लिपटा ही जाए.
अगर मुझपे तू एक ये एहसान करदे
अपनी मोहब्बत मेरे नाम कर दे
ये दावा है मेरा ओ हुस्न की मलिका
बन्दा ये तुझ पे जाँ भी लुटाए
तेरी खूबसूरत ये जालिम अदाएं
पल पल मुझको इतना लुभाए
मानो किसी गुल के महके बदन से
भँवरा कोई जैसे लिपटा ही जाए.
शिशिर जी बेहतरीन रचना !!
“शब्दों के अणु कूट कूटकर भर दिए है !!
निवातियां जी इतनी प्रशंशनीय प्रशंशा के लिए अनेकों अनेक आभार
प्रेम से ओत प्रोत एक बहुत ही लुभावनी कविता | अति सुन्दर |
बहुत बहुत आभार आलेख जी