ग़ज़ल (ये क्या दुनिया बनाई है)
मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है
किसी के पास सब कुछ है मगर बह खा नहीं पाये
तेरी दुनियां में कुछ बंदें करते काम क्यों गंदें
कि किसी के पास कुछ भी ना, भूखे पेट सो जायें
जो सीधे सादे रहतें हैं मुश्किल में क्यों रहतें है
तेरी बातोँ को तू जाने, समझ अपनी ना कुछ आये
ना रिश्तों की महक दिखती ना बातोँ में ही दम दीखता
क्यों मायूसी ही मायूसी जिधर देखो नज़र आये
तुझे पाने की कोशिश में कहाँ कहाँ मैं नहीं घूमा
जब रोता बच्चा मुस्कराता है तू ही तू नजर आये
गुजारिश अपनी सबसे है कि जीयो और जीने दो
ये जीवन कुछ पलों का है पता कब मौत आ जाये
ग़ज़ल (ये क्या दुनिया बनाई है)
ग़ज़ल प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
बहुत सुन्दर रचना है
Nice Gajal
Hindisahitya whats up group me aap ka swagat hai
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सुन्दर अभिव्यक्ति !!