ओ मेरी अपनी माँ की आँखों की ज्योति
तुम हो मेरे इस जीवन की सच्ची मोती
तुमको पाकर मैंने इस एहसास को जाना
पिता बेटी का भावुक बंधन क्या है पहचाना
मुझको अपनी आज ज़रुरत तेरे लिए है
मेरी इन साँसों की कीमत तेरे लिए है
आज अगर मैं कुछ भी खोने से डरता हूँ
उसके पीछे केवल कारण है मोह तुम्हारा
तुम स्वस्थ रहो, उन्नति करो और बड़ी बनों
इस जीवन में अब तो बस यही ध्येय हमारा.
दिल को छू गयी आपकी यह कविता…. सुन्दर एवं सरल । अति सुन्दर कविता शिशिर जी ।
धन्यवाद आलेख जी. मुझे आपका उपनाम भी बहुत पसंद आया.
bahut achchhi aur bhavo se bhari kavita ….
Thank u very much Anuj
पिता पुत्री के प्रेम का मार्मिक वर्णन, क्या खूब लिखा !! बहुत अच्छे !!
अर्धशतकीय पारी के लिए ढेरो बधाई !!
निवतियाँ जी आप के आशीर्वचनों के लिए बहुत बहुत आभार. आपके प्रथम उत्साहवर्धन के कारण ही मेरा अपनी सभी हिन्दी कविताओ को आप सभी के सम्मुख रखने का मनोबल बढ़ा. मुझे आशा है भविष्य में भी आपका स्नेह मिलता रहेगा.
हार्दिक आभार बंधुवर !!