लोग जब करते हैं बात किस्मत की, मुझे अफ़सोस बहुत होता है
अपनी किस्मत में नहीं था साथ तेरा, इसका एहसास बहुत होता है
जाने वो कैसे लोग होते हैं, जिन्हे प्यार बहुत मिलते हैं
किसी के छूटने का ग़म भी नहीं, यार भी जिन्हे हज़ार मिलते है
जाने ये कैसी है फितरत उनकी, जान नहीं पाता है कोई मन की
तोड़ते है वो ये दिल भी ऐसे, सुनाई भी नहीं पड़ती है खनक इसकी
उन्हें भी जब समझ में आएगा, कोई जब उनका दिल दुखाएगा
मुझे वो छोड़ गए हैं जैसे, उन्हें भी कोई छोड़ जायेगा
अब ये जीना भी क्या है तेरे बिना, मरना तो सबको ही है एक दिना
मुझे अफ़सोस है तो सिर्फ इतना, मरना भी होगा मेरा उसके बिना
अब तो मेरी एक गुजारिश है यही, दिल लगाना तो निभाना भी वहीँ
जो तुम इतना भी ना कर पाओगे, एक दिन खुद बे खुद मिट जाओगे.
शिशिर “मधुकर”
हिज्र की रोचक दास्ताँ सुनायी शिशिर जी आपने | बहुत अच्छे |
दास्ताँ को सुनने के लिए धन्यवाद मित्र
अति सुन्दर शिशिर जी !!
आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार निवातियां जी