जीवन को तो छोड़ दिया है हमने जीना
अब तो हम दुनिया की सच्चाई जीते हैं
प्रीत का अमृत छोड़ दिया है हमने पीना
अब तो हम रिश्तों की कड़वाहट पीते हैं.
पाक साफ़ थे जब हमको सबने ठुकराया
इंसानो ने हैवानो का रूप दिखाया
जिसको दिल की जितनी गहराई से चाहा
उतना ही वो संगदिल है ये बाद में जाना
जाने ऐसा क्यूँ होता है की सत्य के आगे
दुर्योधन और भीष्म, कर्ण आ जाते हैं
कृष्ण को पाने की चाह तो रखते है सब प्राणी
लेकिन केवल अर्जुन ही उनको पाते हैं.
शिशिर “मधुकर”
शिशिर जी ,आज जो जीवन हम जी रहें हैं उस की सही तस्वीर खींची है आप ने ।
बिमला जी कविता की भावना को पहचान कर उत्साहवर्दक शब्दों के लिए आभार
shishir ji , very good , it is truth of todays life.
Thank you very much for your kind words of appreciation.
आज के युग में मानव जीवन का रेखाचित्र बहुत सुंदरता से उकेरा है !! बहुत उम्दा !!
धन्यवाद. आपकी तारीफ से कुछ और अच्छा लिखने की इच्छा बलवती होती है.