सोच रहा था इंसान और जानवर में होता है क्या अंतर
दोनों ही खाते पीतें है जीव है दोनों के अंदर
है ये भी सुन्दर, है वो भी सुन्दर
पर दोनों में है एक फर्क सदा
यह वह सवाल है जिस पर चर्चाए होतीं है यदा कदा
मैं तो पहुँचा इस निर्णय पर कि
फर्क है भावना और बुद्धि का
होती हैं दोनों दोनों पर
अनुपात है शायद घटा बढ़ा
केवल बुद्धि का इस्तेमाल भी पशुता का ही द्योतक है
यदि भावना भी हो साथ तो इसकी सुंदरता मनमोहक है.
शिशिर “मधुकर”
Nice thought…
Thanks Anuj for comments
बहुत खूब शिशिर जी। अच्छी रचना।
Thank u very much Amitabh.
मानवता को अच्छे से परिभाषित करती सुन्दर रचना !!
शुक्रिया निवातिया जी