किस्मत का मारा, गरीब बेचारा
आ गया रास्ते पे
बेबस और बेसहारा ।
हो न सका वह किसी का प्यारा
रहा वह हमेसा
बेबस और बेसहारा ।
एक तो वह किस्मत का मारा
गरीबो का अब कौन सहारा
लक्ष्य हो दो वक़्त की रोटी पाना
वह गरीब
बेबस और बे सहारा ।
दिन भर करता काम बेचारा
करता न आराम बेचारा
फिर भी मिला न कोई सहारा
वह गरीब
बेबस और बेसहारा ।
“पैसा भले न जमा किये, पर सुख दुख मे साथ निभाये ।
मुशकील से मुशकील घड़ियों से, लड़ना ये हमे सिखाये॥
संदीप किमर सिंह ।
गरीबी का भावुक चित्रण
अच्छा प्रयास संदीप।
dhanyabad sir aap sabhi ka