आज फिर देखो दिल में है हलचल मची
उनके दूर होने का फिर ख्याल आ गया
कितना चाहा की हम भूल जाए उन्हें
फिर कसम का उनकी सवाल आ गया.
उनके जैसा नहीं था जमीं पर कोई
चाँद तारों में भी उनके जैसा न था
उनकी साँसों में थी जो दिलकश महक
बागों में चंदनों के भी वैसा न था
हमने चाहा था उनकी इबादत करें
पर ख़ुदा को भी हम पर जलाल आ गया
आज फिर देखो दिल में है हलचल मची
उनके दूर होने का फिर ख्याल आ गया
कितना चाहा की हम भूल जाए उन्हें
फिर कसम का उनकी सवाल आ गया.
उनकी आँखों में था जिंदगी का नशा
उनकी धड़कन में थी मस्तियों की सदा
उनकी बाँहों में जीवन का श्रृंगार था
उनके होठों पे केवल मेरा प्यार था
उसने छुआ जो मेरे रुखसार को
दिल में जज़्बा कोई बेमिसाल आ गया
आज फिर देखो दिल में है हलचल मची
उनके दूर होने का फिर ख्याल आ गया
कितना चाहा की हम भूल जाए उन्हें
फिर कसम का उनकी सवाल आ गया.
उनकी ख़ामोशी सागर की गहराई थी
उनके हसने पे कलियाँ भी मुस्काई थी
उनके आँसूं भी थे गंगाजल की तरह
वक्त बीता वो खुशियों के पल की तरह
हमने प्रेम का दीपक जलाया ही था
एक झोका हवा का विशाल आ गया
आज फिर देखो दिल में है हलचल मची
उनके दूर होने का फिर ख्याल आ गया
कितना चाहा की हम भूल जाए उन्हें
फिर कसम का उनकी सवाल आ गया.
शिशिर “मधुकर”
शानदार “गीत” पेश किया जनाब
बहुत अच्छे !!
आशीर्वचनों के लिए धन्यवाद.
मेरे पास शब्द ही नहीं तारीफ़ के लिए। बहुत बहुत बहुत अच्छी कविता।
अनेक बधाई।
अमिताभ प्रेम पर तुम जैसे रचनाकार की प्रशंसा मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है. बहुत बहुत धन्यवाद.
Shandar rachna shishir ji..aapki tarif ke liya alfaj nahi mil rahe..
धन्यवाद ओमेन्द्र जी