हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
हर पल सोचता हूँ वो प्यार भरी बातें
कैसे मैं भुला दूँ वो हसीन मुलाकातें
जब उसने मेरे हर लफ़्ज पे एतबार किया था
मैं सब कुछ हूँ उसका ये इकरार किया था
वो झूठ था या सच था ये मलाल आता है.
हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
वो दिन भी क्या दिन थे जब उजला सवेरा था
मेरे दिल के आईने में बस उसका ही चेहरा था
उसने प्यार की नरमी का एहसास कराया था
मेरे बिन ना वो रह पायेगी ये विश्वास दिलाया था
आँखों के सामने वो सब हाल आता है .
हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
उसने क्यों तोड़ डाला इस दिल के आईने को
क्यों दिल्लगी समझा मेरे इस चाहने को
ये दिल्लगी नहीं थी दिल की लगी थी यार्रों
मैंने तो प्यार में थे भुलाए जहाँ चारों
उसकी बेवफाई ना दिल संभाल पाता है
हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
शिशिर “मधुकर”
एक भावपूर्ण सुन्दर गीत । शिशिर जी ,आप की रचनाओं में एक rhythm. है flow. है ।बहुत अच्छे ।
धन्यवाद बिमला जी. यह गीत मैने १९९३ मे लिखा था. लेकिन आज आप लोगो के सामने प्रस्तुत किया है. मेरा मानना है कि बिना लय ओर flow के आम व्यक्ति को अनन्द नही आता.
शिशिर जी वार्टसअप हिन्दी साहित्य ग्रुप मे आप का स्वागत है ..
इस ग्रुप मे राम केश जी वैभव विशेष जी नारेन्द्र जी ..जैसे रचनाकार भी है…
अनुज मेरा नंबर ९९९९७७४७४२ है. लेकिन अभी मैं पुराना ब्लैकबेरी कर्व इस्तेमाल कर रहा हूँ. स्मार्ट फ़ोन पर अगले हफ्ते तक जाऊँगा.
एक अधूरे प्रेम को दर्शाती बहुत ही सुन्दर कविता। बहुत ही उम्दा प्रयास।
ऐसे ही कल्पना की उड़ान बनाये रखिये।
सराहना के लिए धन्यवाद अमिताभ